रांची — झारखंड वन विभाग के इतिहास में पहली बार एक नर बाघ को सुरक्षित और जीवित पकड़ने का बड़ा ऑपरेशन सफलतापूर्वक संपन्न हुआ। यह रेस्क्यू अभियान पलामू टाइगर रिजर्व (PTR) और रांची डिवीजन की संयुक्त टीम द्वारा किया गया, जिसने साहस और समन्वय की अनूठी मिसाल पेश की।


अभियान का नेतृत्व सीसीएफ (वाइल्डलाइफ) और फील्ड डायरेक्टर, पीटीआर एस.आर. नतेशा ने किया, जबकि संपूर्ण ऑपरेशन श्री परितोष उपाध्याय, पीसीसीएफ वाइल्डलाइफ एवं सीडब्ल्यूएलडब्ल्यू, झारखंड की निगरानी में संपन्न हुआ।
टीम में रांची डीएफओ श्रीकांत, वाइल्डलाइफ डीएफओ अवनीश, वन्य पशु चिकित्सक डॉ. जब्बार (RTD), एनटीसीए व एनजीओ प्रतिनिधि, गांव के मुखिया, पीटीआर के डीडी आशीष और प्रजेश जेना, तथा अन्य वनकर्मी शामिल थे। सभी ने मिलकर जोखिम भरे इस अभियान को पूरी सतर्कता, तकनीकी दक्षता और मानवीय संवेदनशीलता के साथ अंजाम दिया।
बाघ को पिंजरे में सुरक्षित रूप से जिंदा पकड़ा गया, और फिर उसके परिवहन के लिए उसे शांत किया गया (tranquilized)। यह प्रक्रिया अत्यंत सावधानीपूर्वक की गई ताकि बाघ को कोई शारीरिक क्षति न पहुंचे। रेस्क्यू के बाद उसकी स्वास्थ्य जांच भी की गई और विशेषज्ञों की निगरानी में उसे सुरक्षित स्थान पर स्थानांतरित किया गया।
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यह ऑपरेशन इसलिए भी खास है क्योंकि झारखंड में पहली बार किसी बाघ का इस तरह से रेस्क्यू किया गया है। इससे यह स्पष्ट होता है कि राज्य के वन विभाग की तकनीकी क्षमता, संसाधनों की उपलब्धता और संकट-प्रबंधन कुशलता में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।
वन विभाग ने स्थानीय ग्रामीणों और मुखिया के सहयोग की भी सराहना की, जिन्होंने टीम का भरपूर समर्थन किया और किसी भी तरह की अप्रिय घटना से बचने में मदद की। रेस्क्यू अभियान के दौरान सुरक्षा मानकों का पूरा पालन किया गया।
इस सफलता से वन विभाग को न केवल प्रोत्साहन मिला है, बल्कि यह राज्य में बाघ संरक्षण और मानव-वन्यजीव संघर्ष प्रबंधन की दिशा में एक मजबूत कदम भी माना जा रहा है।