झारखंड में विधानसभा चुनाव– पूर्ण बहुमत मिलने के आसार कम

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विजय सिंह ,बी जे.एन.एन. ब्यूरो ,राजनीति
झारखंड  विधानसभा चुनाव अभियान जोरों पर है.आज पहले चरण के लिए मतदान संपन्न हुआ.
सभी पार्टियों में सत्ता पाने की होड़ लगी है..पिछले १४ वर्षों में झारखंड
विकास या उपलब्धि के नाम पर कुछ भी हासिल नहीं कर पाया है..सभी पार्टियों
के स्टार प्रचारक झारखण्ड की धरती पर अवतरित हो रहे हैं..फिर वही लम्बे
लच्छेदार भाषण,ढेर सारे आश्वासन,चुनाव जीतने के बाद झारखंड की जनता को
मालों माल कर देने का सपना दिखाने वाले बड़ी  पार्टियों के नेता ये भूल जा
रहे हैं कि जिन वादों की वो झड़ी लगा रहे हैं ,उसके लिए तो वे अभी तक राज
भोगते ही रहे हैं..हाँ जनता के लिए आश्वासन के सिवा  किया कुछ नहीं.
कंपनियां बंद हो रही हैं,रोजगार मिला नहीं, शिक्षा के क्षेत्र में कुछ
हुआ नहीं,स्वास्थ्य के लिए आज भी झारखंड की जनता वेल्लोर और बैंगलोर पर
आश्रित है..पिछड़े और गरीब आदिवासी के नाम पर राजनीति करने वाले नेता और
पार्टियां तो मालामाल हो गए परन्तु जनता गरीब ही रह गयी.
एक चुनावी सभा में इन दिनों सबसे ज्यादा चर्चित भारतीय जनता पार्टी के
राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने पार्टी प्रत्याशियों को भारी मतों से
जिताने की अपील की लेकिन कुछ ऐसे लोगों को भाजपा ने टिकट देकर उम्मीदवार
बनाया जिसे टिकट देने के पहले उन्होंने जनता की राय लेना क्या मुनासिब
समझा? बार बार हारने वाले प्रत्याशी को भी  टिकट दे दिया गया ,सिर्फ
स्थान बदल दिया,क्योंकि वह राज्य के एक बड़े नेता का करीबी है. पूरे देश
में  क्रांति और लहर की बात करने वाली भारतीय जनता पार्टी ने एक छोटी
पार्टी से ही समझौता कर डाला ,शायद उसकी कोई जरुरत नहीं थी.
कांग्रेस और झारखंड मुक्ति मोर्चा में भी यही स्थिति रही.झंडा धोने वाले
,सालों भर पार्टी का नारा बुलंद करने वाले नेता ,कार्यकर्ता टिकट की जुगत
ही भिड़ाते रह गए पर टिकट मिला,जुगाड़ टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करने वाले
नेताओं को.किसी पार्टी को किसी से कोई परहेज नहीं..कोई नीति ,कोई
सिद्धांत नहीं,बस  जुगाड़ सही बैठ
जाये.
अब ऐसे में किसी पार्टी को पूर्ण बहुमत मिलेगा ,यह तो दूर दूर तक दिखाई
नहीं देता.कुल मिला कर अभी भी झारखंड का भविष्य बहुत उज्जवल नजर नहीं आ
रहा है.संभवतः फिर वही जुगाड़ वाली सरकार बननी तय है.

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