रामेश्वरम।
पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम को पूरे राजकीय सम्मान के साथ गुरूवार को सुपुर्द-ए-खाक कर दिय गया। मंत्री नरेन्द्र मोदी, रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर, संसदीय मंत्री वैंकेया नायडू, कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी समेत कई नेता कलाम को अंतिम विदा कहने पहुंचे।
अंतिम विदाई देने के लिए हजारों लोग, जिनमें बच्चे, बूढ़े और महिलाएं शामिल थी, पहुंचे और जिसे जहां जगह मिली वह वहीं खड़ा हो गया। अब्दुल कलाम की पार्थिव देह को बुधवार दोपहर गृहनगर रामेश्वरम् लाई गई। इससे पहले पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम का पार्थिव शव रामेश्वरम् से 50 किमी दूर रामनाथपुरम् के उसी श्वार्टज स्कूल में रखा गया है जहां उन्होंने पढ़ाई की थी। स्कूल में कलाम की बड़ी फोटो लगी है। प्रिंसिपल बताते हैं कि कलाम समय मिलने पर स्कूल में आकर छात्रों से जरूर मिलते थे। कलाम के 96 साल के बड़े भाई माराईयार बताते हैं कि कलाम अक्सर उन्हें फोन करते थे।उनकी बेटी बताती हैं कि कलाम जब भी फोन करते तो मुझसे कहते कि फोन का स्पीकर ऑन कर दो, ताकि वे उनसे ठीक से बात कर सकें। कलाम कहते थे कि कभी मेरे नाम का इस्तेमाल नहीं करना। गौरतलब है कि अब्दुल कलाम का निधन सोमवार को मेघालय की राजधानी शिलॉन्ग में हुआ। वे वहां पर आईआईएम शिलॉन्ग में लेक्चर देने के लिए गए हुए थे, इसी दौरान वे अचानक बोलते-बोलते गिर पड़े। वे देश के 11वें राष्ट्रपति थे और जनता के बीच बेहद लोकप्रिय थे।
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