जमशेदपुर/कोलकाता।
आदिवासी दर्जे की मांग को लेकर झारखंड में कुड़मी समाज का शनिवार से शुरू हुआ रेल रोको आंदोलन धीरे-धीरे तेज़ होता जा रहा है। इसका सीधा असर दक्षिण पूर्व रेलवे (SER) की कई अहम ट्रेन सेवाओं पर पड़ा है। गालूडीह, सिनी और चक्रधरपुर समेत कई स्टेशनों पर सुबह से ही आंदोलनकारी रेलवे ट्रैक पर बैठ गए, जिससे ट्रेनों का परिचालन बाधित हो गया।
दक्षिण पूर्व रेलवे के अनुसार, आंदोलन खड़गपुर मंडल के भंजपुर स्टेशन पर सुबह 5:02 बजे शुरू हुआ और करीब आधे घंटे तक जारी रहा। इसके बाद चक्रधरपुर मंडल के सिनी–बिरबंस सेक्शन तथा धनबाद मंडल के कुछ हिस्सों में भी आंदोलनकारियों ने ट्रैक जाम कर दिया। इससे हावड़ा–मुंबई और टाटानगर–रांची जैसे व्यस्त रूट प्रभावित हुए।
रेलवे अधिकारियों का कहना है कि आंदोलन की वजह रेलवे से संबंधित नहीं है, लेकिन ट्रैक जाम होने से परिचालन पर असर पड़ना स्वाभाविक है।
रद्द की गई ट्रेनें
शनिवार को कई लोकल और मेमू ट्रेनों को पूरी तरह रद्द करना पड़ा। इनमें प्रमुख हैं –
13504 हटिया–बर्द्धमान मेमू
68019/68020 टाटानगर–गुवा–टाटानगर मेमू
68003/68004 टाटानगर–गुवा–टाटानगर मेमू
डायवर्ट की गई ट्रेनें
18013 आद्रा–बोकारो स्टील सिटी एक्सप्रेस को भोजूडीह–तालगरिया–चास–बांधडीह मार्ग से चलाया जा रहा है।
शॉर्ट टर्मिनेशन/ओरिजिनेशन
13320 रांची–दुमका एक्सप्रेस की यात्रा बराकर से शुरू कराई गई।
नियंत्रित ट्रेनें
आंदोलन के कारण कई लंबी दूरी की ट्रेनों को अलग-अलग स्टेशनों पर रोकना पड़ा, जिनमें प्रमुख हैं –
20887 रांची–वाराणसी वंदे भारत (बोकारो स्टील सिटी पर रोकी गई)
20893 टाटानगर–पटना वंदे भारत (मुरी पर नियंत्रित)
18626 हटिया–पूर्णिया कोर्ट एक्सप्रेस
13352 अलप्पुझा–धनबाद एक्सप्रेस (रांची पर रोकी गई)
यात्रियों की बढ़ी मुश्किलें
ट्रैक जाम और ट्रेनें रद्द होने से यात्रियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा। गालूडीह, सिनी और टाटानगर स्टेशनों पर बड़ी संख्या में लोग घंटों तक फंसे रहे। कई यात्रियों ने आरोप लगाया कि उन्हें सही समय पर सूचना नहीं दी गई। दूसरी ओर, रेलवे अधिकारियों का कहना है कि यात्रियों की सुरक्षा और सुविधा को ध्यान में रखते हुए हर संभव कदम उठाए जा रहे हैं।
कुड़मी समाज की मांग
कुड़मी समाज की सबसे बड़ी मांग है कि उन्हें झारखंड, पश्चिम बंगाल और ओडिशा में आदिवासी की सूची में शामिल किया जाए। उनका कहना है कि लंबे समय से मांग उठाए जाने के बावजूद सरकार ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया है। इसी कारण मजबूरी में रेल रोको आंदोलन शुरू करना पड़ा है। आंदोलनकारियों ने चेतावनी दी है कि जब तक उनकी मांग पूरी नहीं होती, उनका आंदोलन जारी रहेगा।
इस बीच, जिला प्रशासन और रेलवे अधिकारियों की ओर से आंदोलनकारियों को समझाने की कोशिशें जारी हैं, लेकिन फिलहाल किसी समाधान की संभावना नज़र नहीं आ रही है।
