कोलकाता,।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति की बैठक में रेलवे मंत्रालय की चार अहम मल्टीट्रैकिंग परियोजनाओं को हरी झंडी दे दी गई है। इन परियोजनाओं की कुल लागत लगभग ₹11,169 करोड़ है और ये परियोजनाएं देश के छह राज्यों—महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, पश्चिम बंगाल, बिहार, ओडिशा और झारखंड—के 13 जिलों में फैली होंगी।
डांगोआपोसी-जरोली परियोजना पर होगा 1752 करोड़ खर्च
इनमें दक्षिण पूर्व रेलवे की डांगोआपोसी-जरोली तीसरी और चौथी लाइन परियोजना शामिल है, जिसकी अनुमानित लागत ₹1,752 करोड़ है। यह परियोजना झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम और ओडिशा के क्योंझर जिले में स्थित लौह अयस्क क्षेत्रों और इस्पात उद्योगों को रेलवे नेटवर्क से जोड़ेगी। इससे न सिर्फ माल ढुलाई में तेजी आएगी बल्कि भारत के 300 मिलियन टन वार्षिक इस्पात उत्पादन लक्ष्य को पूरा करने में भी मदद मिलेगी।
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परियोजना की मुख्य विशेषताएं:
मार्ग लंबाई: 43 किमी | ट्रैक लंबाई: 108 किमी
7 स्टेशन, 10 बड़े पुल, 196 छोटे पुल
8 रेल ओवर ब्रिज (ROB), 4 रेल अंडर ब्रिज (RUB), 2 रेल ओवर रेल ब्रिज
3.85 करोड़ लीटर डीज़ल की बचत
170 करोड़ किलोग्राम CO₂ उत्सर्जन में कटौती (जो 11 करोड़ पेड़ लगाने के बराबर)
सालाना 50 मिलियन टन माल ढुलाई की क्षमता
₹6,038 करोड़ की लॉजिस्टिक लागत में बचत
अन्य तीन परियोजनाएं हैं:
औरंगाबाद (छत्रपति संभाजीनगर) – परभणी दोहरीकरण
अलीपुरद्वार रोड – न्यू जलपाईगुड़ी तीसरी और चौथी लाइन
इटारसी – नागपुर चौथी लाइन
इन परियोजनाओं के माध्यम से देश में रेलवे नेटवर्क को लगभग 574 किमी तक बढ़ाया जाएगा। यह फैसला प्रधानमंत्री के पीएम गति शक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान के तहत लिया गया है, जिसका उद्देश्य देश में बहु-माध्यमीय कनेक्टिविटी और लॉजिस्टिक दक्षता को बढ़ावा देना है।
यह सभी परियोजनाएं रोजगार और आत्मनिर्भर भारत की दिशा में भी मील का पत्थर साबित होंगी।

