गम्हरिया,
दीपोत्सव की श्रृंखला का अंतिम पर्व भाईदूज गुरुवार को काण्ड्रा में श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया गया। इस अवसर पर क्षेत्र की महिलाओं ने पारंपरिक रीति से गोधन कूटने की रस्म पूरी कर अपने भाइयों के मंगल और दीर्घायु की प्रार्थना की।
सुबह से ही काण्ड्रा गेस्टहाउस परिसर में सजी धजी महिलाओं का समूह इकट्ठा हुआ। पारंपरिक गीतों की मधुर धुन के बीच उन्होंने मिट्टी से बने गोवर्धन स्वरूप की पूजा की और धान के नए दानों से प्रतीकात्मक रूप से गोधन कूटा। इस अनुष्ठान को पूरा करने के बाद सभी ने आरती उतारी और भाइयों के जीवन में सुख-शांति व समृद्धि की कामना की।
इस पारंपरिक आयोजन में मालती, इप्सिता, डॉ. ईशा, किरण, पूनम, नीतू, मोनू, अद्विका, श्रेया, शोभना, बेबो, सहित कई महिलाओं और लड़कियों ने भाग लिया सहित कई महिलाएं सम्मिलित हुईं। सभी ने मिलकर लोकगीतों के माध्यम से भाई-बहन के स्नेह और भारतीय संस्कृति की इस जीवंत परंपरा को नए रंग में पिरोया।
स्थानीय लोगों के अनुसार, गोधन कूटने की यह परंपरा पीढ़ियों से चली आ रही है और इसे भाईदूज का सबसे महत्वपूर्ण कर्म माना जाता है। यह न केवल भाई-बहन के स्नेह का उत्सव है बल्कि ग्रामीण जीवन से जुड़ी आस्था, कृषि और लोक संस्कृति का अनमोल प्रतीक भी है।
गेस्टहाउस परिसर में हुआ यह आयोजन पूरे वातावरण में भक्ति, उमंग और लोक-संस्कृति की मिठास घोल गया। महिलाओं ने आशीर्वाद स्वर में कहा “भाइयों की झोली सदा खुशियों से भरी रहे, यही हमारी प्रार्थना है।”

