पटना । बिहार के पूर्व सैनिकों ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। राज्य में लागू हुई शराबबंदी की नीति के खिलाफ शुक्रवार को राज्य भर के पूर्व सैनिकों का आक्रोश फूटा।
सरकार के फैसले के खिलाफ बिहार राज्य पूर्व सैनिक संघ के तत्वाधान में पूर्व सैनिकों ने रैली निकाली। इसके बाद सैनिकों ने दानापुर के हाथीखाना मोड़ पर एक सभा आयोजित की। सभा के बाद सभी पूर्व सैनिक राजभवन मार्च के लिए निकल गए। पूर्व सैनिकों ने शुक्रवार को लागू की गई शराबबंदी कानून का विरोध जताते हुए छावनी में जनसभा आयोजित की। सभा के बाद सभी पूर्व सैनिकों ने रामभवन मार्च किया।
इस रैली में पूरे बिहार से आये लगभग पांच हजार से ज्यादा पूर्व सैनिक मौजूद थे। पूर्व सैनिक शराब बंदी से मुक्त करने की मांग कर रहे थे। उनका कहना था कि सेना में बहाली के समय शराब पीने की आदत बनायी जाती है और अब जब हम शराब पीने के आदि हो चुके हैं तो शराब नहीं मिल रही है।
ऐसे में सैनिकों को शारीरिक परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। सैनिकों ने शराब बंदी को जारी रखने लेकिन सैनिकों को इससे दूर रखने की मांग की। रैली के बाद पूर्व सैनिकों ने राजभवन जाकर अपनी समस्या का ज्ञापन राज्यपाल को सौंपा।
बताते चले कि शराबबंदी का विरोध जताने सुबह से ही राज्य भर के पूर्व सैनिक हाथीखाना मोड़ पर जुटने लगे। संघ के अध्यक्ष एनके सिंह ने कहा कि मौजूदा शराबबंदी कानून पूर्व और कार्यरत सैनिकों के लिए काले कानून से कम नहीं है।
भारत में सैनिक शराब का सेवन दवा के रूप में ड्यूटी के मुताबिक करते है,लेकिन कानून बनाकर सैनिकों को आज जेल में डाला जा रहा है। कैप्टन एमएस रावत ने कहा कि रिटायर्ड होने वाले 11 फीसद सैनिक इस सोच में चिंतित है कि सेवानिवृत्ति के बाद उन्हें भी ऐसे कानून दो चार होना होगा। संघ के वक्ताओं ने मांग किया कि बिहार सरकार अन्य राज्यों की तरह पूर्व एवं कार्यरत सैनिकों को इस कानून से अलग रखे।
पूर्व सैनिक उपेंद्र सिंह ने कहा कि शराब से मिलने वाले राजस्व की पूर्ती दूसरे सामानों पर मनमाना टैक्स लादकर किया जा रहा है। संघ के महासचिव एसडी शर्मा ने कहा की पूर्व सैनिकों के प्रति सरकार पहले से ही निराशाजनक रवैया रखती है।
पटना जिला संघ के अध्यक्ष सूबेदार आरएन उपाध्याय ने कहा कि कैंटीन से मिलने वाली शराब सैनिकों का हक है और सम्मान से भी जुड़ा है। रैली और सभा के बाद पूर्व सैनिक वाहनों से राजभवन मार्च के लिए निकले।
