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प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के दूरदर्शी नेतृत्व में भारत ने मुंबई-अहमदाबाद हाई-स्पीड रेल (HSR) परियोजना में एक ऐतिहासिक इंजीनियरिंग उपलब्धि हासिल की है।
आज 4.8 किमी लंबे टनल सेक्शन में एक बड़ा ब्रेकथ्रू पूरा हुआ। खुदाई का कार्य घांसोली और शिलफाटा दोनों दिशाओं से एक साथ किया गया था। टीमों ने चुनौतीपूर्ण जलमग्न क्षेत्र से होकर खुदाई की और आज दोनों ओर से मिलकर यह असाधारण इंजीनियरिंग कार्य पूरा किया।
रेल मंत्री ने परियोजना टीम को बधाई देते हुए कहा: “यह एक ऐतिहासिक क्षण है क्योंकि हम भारत की पहली समुद्र के नीचे बनने वाली सुरंग का निर्माण कर रहे हैं, जो मुंबई और ठाणे को इस कठिन खाड़ी मार्ग से जोड़ेगी।”
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अर्थव्यवस्था पर गुणक प्रभाव
मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन परियोजना से यात्रा का समय घटकर केवल 2 घंटे 7 मिनट रह जाएगा। यह परियोजना प्रमुख वाणिज्यिक केंद्रों की अर्थव्यवस्थाओं को जोड़कर एकीकृत करेगी।
दुनिया की पहली बुलेट ट्रेन, जिसने टोक्यो, नागोया और ओसाका जैसे शहरों को जोड़ा, ने जापान की पूरी अर्थव्यवस्था पर गुणक प्रभाव डाला।
इसी प्रकार, यह परियोजना आनंद, अहमदाबाद, वडोदरा, सूरत, वापी और मुंबई को एक ही आर्थिक गलियारे में जोड़ेगी। इससे एकीकृत बाजार तैयार होंगे और औद्योगिक विकास तेज़ होगा। यह परियोजना ज्ञान हस्तांतरण और आर्थिक एकीकरण को भी प्रोत्साहित करेगी।
रेल मंत्री ने यह भी कहा कि यह परियोजना भारत के मध्यवर्ग की आकांक्षाओं को पूरा करेगी। किराया संरचना मध्यवर्ग के लिए उपयुक्त रखी जाएगी और यात्रा को आरामदायक बनाया जाएगा।
परियोजना की प्रगति और नवाचार
मुंबई-अहमदाबाद हाई-स्पीड रेल परियोजना कई मोर्चों पर उल्लेखनीय प्रगति दिखा रही है:
● 320 किमी वायाडक्ट (पुल) का निर्माण पूरा
● सभी स्थानों पर स्टेशन निर्माण कार्य तीव्र गति से प्रगति पर
● नदियों पर systematically पुल निर्माण जारी
● साबरमती टनल निर्माण कार्य अंतिम चरण में
श्री अश्विनी वैष्णव ने यह भी उल्लेख किया कि महाराष्ट्र की पूर्ववर्ती राज्य सरकार द्वारा पैदा की गई देरी को दूर करने के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं।
तकनीकी नवाचार
यह परियोजना अत्याधुनिक इंजीनियरिंग नवाचारों को प्रदर्शित कर रही है, जिन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता मिली है।
- दो बुलेट ट्रेनों के लिए एक ही सुरंग (सिंगल टनल टेक्नोलॉजी) का उपयोग
- वायाडक्ट निर्माण में 40-मीटर गर्डर का उपयोग
जापानी भागीदारों ने इन तकनीकी नवाचारों की सराहना की है। इस परियोजना के माध्यम से भारत ने महत्वपूर्ण तकनीकी ज्ञान प्राप्त किया है और जापानी विशेषज्ञों के साथ निरंतर काम कर रहा है।
नवीनतम ट्रेन तकनीक और परिचालन योजनाएँ
कल रेल मंत्री ने जापान के उपमंत्री के नेतृत्व वाले प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात की और हाई-स्पीड रेल परियोजना की समीक्षा की। दोनों पक्षों ने परियोजना की प्रगति पर संतोष व्यक्त किया।
- परियोजना का पहला खंड 2027 तक शुरू होने की उम्मीद
- भारत में जापान की अगली पीढ़ी की बुलेट ट्रेन E10 शिंकानसेन को लाने पर सहमति
परिचालन ढाँचा:
● प्रारंभिक आवृत्ति: पीक आवर्स में हर 30 मिनट पर ट्रेन
● चरण 2: परिचालन स्थिर होने पर हर 20 मिनट पर
● भविष्य में विस्तार: बढ़ती मांग को देखते हुए हर 10 मिनट पर
● लक्ष्य उद्घाटन: सूरत से बिलीमोरा खंड का संचालन 2027 तक
लॉकॉपायलट और रखरखाव कर्मचारियों के लिए जापान में व्यापक प्रशिक्षण कार्यक्रम चल रहा है। उन्नत सिमुलेटर पर प्रशिक्षण देकर सुरक्षा और दक्षता के उच्चतम मानक सुनिश्चित किए जा रहे हैं।
चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में इंजीनियरिंग उत्कृष्टता
परियोजना में उन्नत न्यू ऑस्ट्रियन टनलिंग मेथड (NATM) का उपयोग किया जा रहा है, जिसमें व्यापक सुरक्षा उपाय शामिल हैं।
- ग्राउंड सेटलमेंट मार्कर
- पाईजोमीटर
- इंक्लाइनोमीटर
- स्ट्रेन गेज
इनके माध्यम से सुरक्षित निर्माण सुनिश्चित किया जा रहा है। साथ ही, आसपास की संरचनाओं और समुद्री पारिस्थितिकी को सुरक्षित रखने पर विशेष ध्यान दिया गया है।
रणनीतिक महत्व
यह ऐतिहासिक परियोजना प्रधानमंत्री मोदी जी की विश्वस्तरीय अवसंरचना निर्माण की दृष्टि के अनुरूप है। यह गलियारा भारत में भविष्य की हाई-स्पीड रेल नेटवर्क का एक आदर्श मॉडल बनेगा।


