जमशेदपुर.
दिशोम गुरु नेताजी शिबू सोरेन नहीं रहे. उन्होंने 4 अगस्त 2025 की सुबह दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल में अंतिम सांस ली. उनकी उम्र 81 वर्ष थी.वे पिछले एक महीने से ज्यादा समय से बीमार थे और दिल्ली के गंगाराम अस्पताल में भर्ती थे.
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शिबू सोरेन झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के संस्थापक और आदिवासी अधिकारों के प्रमुख कवच माने जाते थे. उन्होंने झारखंड राज्य आंदोलन के दौरान निर्णायक भूमिका निभाई और तीन बार राज्य के मुख्यमंत्री रहे.
वे लंबे समय से किडनी, डायबिटीज और हृदय संबंधी समस्याओं से पीड़ित थे. जून 2025 में उन्हें दिल्ली में भर्ती कराया गया था, जहां कुछ दिनों पहले उन्हें ब्रेन स्ट्रोक भी हुआ था.
उनके निधन की पुष्टि उनके पुत्र और वर्तमान मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने की, जिन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा:
“आज मैं शून्य हो गया हूँ.”
जीवन और राजनीतिक योगदान
गुरुजी का जन्म 11 जनवरी 1944 को रामगढ़ (अब झारखंड) में हुआ था. 1972 में उन्होंने JMM की स्थापना की. आदिवासी हक़ों की लड़ाई में उनका अतुलनीय योगदान है.वे तीन बार झारखंड के मुख्यमंत्री बने.
साहूकारों के खिलाफ आंदोलन से उभरे
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1950-70के दशक में शिबू सोरेन का साहूकारों के खिलाफ आंदोलन उनके राजनीतिक और सामाजिक जीवन का सबसे निर्णायक और शुरुआती अध्याय था.साहूकारी प्रथा के खिलाफ उनके संघर्ष ने उन्हें जननायक बना दिया.आगे चलकर अलग झारखंड राज्य के आंदोलन में उन्होंने प्रमुख भूमिका निभा

