रांची/जमशेदपुर।
झारखंड आंदोलन के प्रणेता, आदिवासी समाज की अमिट आवाज और झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री दिशोम गुरु शिबू सोरेन के निधन पर राज्यभर में शोक की लहर है।
पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने गहरी शोक संवेदना व्यक्त करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि दी और कहा:
“गुरुजी के निधन से मैं मर्माहत हूं। यह मेरे लिए व्यक्तिगत क्षति है। वह मेरे पिता तुल्य रहे हैं और उन्होंने मुझे सदैव पुत्रवत स्नेह दिया। उनके मुख्यमंत्री बनने पर मुझे उपमुख्यमंत्री के रूप में उनके साथ काम करने का सौभाग्य मिला।”
रघुवर दास ने कहा कि गुरुजी के निधन से एक युग का अंत हो गया।
“झारखंड की राजनीति को अतीत से वर्तमान से जोड़ने वाली सबसे मजबूत कड़ी आज टूट गई। वे सभी विचारधाराओं के लोगों को समान दृष्टि से देखते थे। उनका व्यक्तित्व ऋषितुल्य था और उनके पास बैठकर लगता था जैसे किसी संत की छत्रछाया में हों।”
उन्होंने आगे कहा कि गुरुजी सादा जीवन, उच्च विचार के प्रतीक थे।
“आदिवासी समाज की अस्मिता, आर्थिक उत्थान, शिक्षा, संस्कृति की रक्षा और नशा मुक्ति के लिए वे आजीवन चिंतित और सक्रिय रहे। उनके कारण ही आदिवासी समाज को व्यापक सम्मान और पहचान मिली।”
शोक व्यक्त करते हुए रघुवर दास ने अंत में कहा:
“आज पूरा झारखंड अपने माटी के सपूत को खोने के शोक में डूबा है। मरांग बुरू से प्रार्थना करता हूं कि दिवंगत आत्मा को अपने श्रीचरणों में स्थान दें एवं श्रीमती रूपी सोरेन समेत समस्त परिवार को यह असीम पीड़ा सहने की शक्ति दें।”

