दिल्ली/जमशेदपुर
जमशेदपुर नगर निगम/इंडस्ट्रीयल टाउन के मामले पर बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई.जवाहरलाल शर्मा ने यह जानकारी दी.उन्होंने बताया कि जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जयमाल्या बागची की अदालत में सीरियल नंबर 25पर सुनवाई थी, पर समयाभाव की वजह से सुनवाई पूरी नहीं हो सकी.टाटा स्टील की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने पक्ष रखा और नोटिस का जवाब दिया जो रिकाॅर्ड पर नहीं था.
कोर्ट ने कहा कि अब अगली तारीख पर फिर से सुनवाई होगी. याचिकाकर्ता जवाहरलाल शर्मा के अधिवक्ताओं को दो सप्ताह में जवाब फाइल करने को कहा गया है.साथ ही, झारखंड सरकार के अधिवक्ता भी अपना जवाब दाखिल करेंगे.
बता दें कि मानवाधिकार कार्यकर्ता जवाहरलाल शर्मा ने जमशेदपुर नगर निगम की मांग करते हुए इंडस्ट्रीयल टाउन की अधिसूचना को चुनौती देते हुए याचिका दाखिल की है.उनकी तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण केस की पैरवी कर रहे हैं.जवाहरलाल शर्मा ने अपनी याचिका में जमशेदपुर को इंडस्ट्रीयल टाउन घोषित करने संबंधी 28दिसंबर 2023 की अधिसूचना को रद्द करने की मांग की है.उन्होंने संविधान के अनुच्छेद 243(Q) (1)और झारखंड म्यूनिसपल एक्ट 2011की धारा 481को असंवैधानिक करार देने की भी अपील की है.उनका कहना है कि जमशेदपुर में नगर निगम नहीं बनने से अब तक नागरिकों को तीसरे मताधिकार का संवैधानिक अधिकार नहीं मिल पाया है.
बता दें कि जवाहरलाल शर्मा ने जमशेदपुर में नगर निगम की मांग को लेकर 1988में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी और कोर्ट को बताया था कि जमशेदपुर के लोगों को तीसरे मताधिकार से वंचित रखा गया है.इस संबंध में 1989 में ही सुपारी कोर्ट ने फैसला करते हुए जमशेदपुर में नगर निगम बनाने का आदेश दिया था.जवाहरलाल शर्मा ने बताया कि तत्कालीन बिहार सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मद्देनजर नोटिफिकेशन भी निकाला था, लेकिन कालांतर में एक साजिश के तहत सरकार और काॅरपोरेट की साजिश के तहत इस आदेश को लागू नहीं किया गया.चालीस सालों से मामला सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है जिसका अंतिम फैसला आने से पहले ही सरकार ने आनन फानन में नियम को ताक पर रखकर इंडस्ट्रीयल टाउन की अधिसूचना जारी कर दी.

