जमशेदपुर।
श्री श्री ब्रह्मानंद शास्त्री के जन्म शताब्दी वर्ष (1928-2028) के अवसर पर कदमा स्थित ब्रह्मलोकधाम में शनिवार को श्रद्धा और भक्ति से परिपूर्ण माहौल में सामूहिक विवाह समारोह का आयोजन किया गया। इस अवसर पर झारखंड और पश्चिम बंगाल से आए कुल 25 जोड़ों का विवाह वैदिक रीति-रिवाजों के साथ संपन्न हुआ।
कार्यक्रम की शुरुआत ब्रह्ममुहूर्त में हुई, जब भक्तों ने पुष्प स्नान, महाश्रृंगार और ध्यान साधना के साथ दिन का शुभारंभ किया। इसके बाद पुष्पांजलि और भजन वंदना के मधुर सुरों से वातावरण भक्तिमय हो उठा।
सुबह 9 बजे निर्मल भवन, कदमा से 25 दूल्हे अपने परिजनों और बारातियों के साथ पारंपरिक वाद्य यंत्रों की धुन पर नाचते-गाते हुए ब्रह्मलोकधाम पहुंचे। वहां पंडितों ने मंत्रोच्चार के बीच सभी जोड़ों का विवाह वैदिक परंपरा अनुसार संपन्न कराया।
समारोह में ब्रह्मलोकधाम के प्रमुख मोनू भट्टाचार्य और जमशेदपुर पश्चिम के विधायक सरयू राय ने नवविवाहित जोड़ों को आशीर्वाद दिया और उन्हें गृहस्थ जीवन के लिए आवश्यक सामग्री भेंट की। इस अवसर पर श्री ब्रह्मानंद महाराज के अनेक शिष्य, भक्तगण और शहर के गणमान्य लोग भी उपस्थित रहे।
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विवाह के उपरांत नर-नारायण सेवा का आयोजन किया गया, जिसमें हाता थाना क्षेत्र के गीतिलता, गैताडीह और मोधुल नू गांवों से आए लगभग 100 नर-नारायणों की सेवा की गई। उन्हें भोजन, वस्त्र, पाद सेवा और दक्षिणा प्रदान कर सम्मानपूर्वक विदा किया गया।
समारोह का विशेष आकर्षण रहा ब्रह्मानंद जी की 50 मूर्तियों का पूजन। शिष्यों द्वारा इन मूर्तियों को सिर पर उठाकर नगर कीर्तन निकाला गया, जिसमें भक्तों ने भजन और जयघोष के साथ पूरे क्षेत्र का माहौल भक्तिमय कर दिया।
अंत में केक काटकर श्री श्री ब्रह्मानंद शास्त्री जी का जन्मोत्सव मनाया गया। पूरे आयोजन में श्रद्धा, सेवा, भक्ति और उत्सव का अद्भुत संगम देखने को मिला। यह आयोजन न केवल एक धार्मिक उत्सव रहा, बल्कि समाज में सद्भावना और सामाजिक एकता का संदेश भी दे गया।

