जमशेदपुर।
झारखंड सरकार ने पूर्वी सिंहभूम जिले की बहुप्रतीक्षित राखा कॉपर माइंस को फिर से चालू करने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है। शुक्रवार को सरकार की ओर से उपायुक्त कर्ण सत्यार्थी ने औपचारिक रूप से राखा खनन पट्टा विलेख (लीज डीड) पर हस्ताक्षर किए। वहीं, हिंदुस्तान कॉपर लिमिटेड (HCL) की ओर से घाटशिला स्थित इंडियन कॉपर कॉम्प्लेक्स (ICC) के कार्यकारी निदेशक-सह-यूनिट प्रमुख ने समझौते पर हस्ताक्षर किए।
इस अवसर पर अपर उपायुक्त भगीरथ प्रसाद और जिला खनन पदाधिकारी सतीश कुमार नायक भी मौजूद थे। पट्टा को 20 वर्षों के लिए नवीनीकृत किया गया है, जिससे क्षेत्र में कॉपर खनन के पुनरुद्धार का रास्ता साफ हुआ है।
आर्थिक विकास और रोजगार सृजन की उम्मीद
राखा खदान 2001 से बंद पड़ी थी। अब इसके फिर से चालू होने से 24 वर्षों बाद तांबे का खनन शुरू होगा। HCL से हर साल करीब 30 लाख टन अयस्क उत्पादन की उम्मीद है। इसके साथ ही एक नया कंसंट्रेटर संयंत्र भी स्थापित होगा, जिसकी क्षमता भी प्रतिवर्ष 30 लाख टन होगी।
इस परियोजना से करीब 10,000 प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार सृजित होने का अनुमान है। इससे न केवल स्थानीय लोगों को आजीविका के नए अवसर मिलेंगे बल्कि क्षेत्र की आर्थिक गतिविधियों में भी बड़ा उछाल आएगा।
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सरकार की प्रतिबद्धता
उपायुक्त कर्ण सत्यार्थी ने कहा कि राखा खनन पट्टा विलेख का निष्पादन, राज्य सरकार की खनन क्षेत्र में पारदर्शिता और विकास को बढ़ावा देने की दृढ़ प्रतिबद्धता को दर्शाता है। साथ ही, यह पर्यावरणीय मानकों के पालन और स्थानीय जनता की भलाई को भी सुनिश्चित करता है।
एचसीएल के कार्यकारी निदेशक ने राज्य सरकार और जिला प्रशासन के सहयोग के लिए आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि यह परियोजना न केवल झारखंड बल्कि पूरे देश की कॉपर आत्मनिर्भरता को मजबूत करेगी।
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एचसीएल की भूमिका
गौरतलब है कि हिंदुस्तान कॉपर लिमिटेड, भारत सरकार का एकमात्र ऊर्ध्वाधर रूप से एकीकृत कॉपर उत्पादक उपक्रम है। इसमें खनन, स्मेल्टिंग, रिफाइनिंग और कास्टिंग जैसी पूरी श्रृंखला शामिल है। घाटशिला स्थित ICC इकाई इसके संचालन का अहम हिस्सा है और राखा खदान इसका मुख्य स्रोत है।

