जमशेदपुर। धर्मरक्षिणी पौरोहित्य महासंघ ने आगामी व्रत-त्योहारों को लेकर महत्वपूर्ण निर्णय जारी किया है। शुक्रवार, 10 अक्टूबर 2025 को दोपहर 12 बजे महासंघ की एक बैठक आचार्यों की उपस्थिति में संपन्न हुई, जिसमें अहोई अष्टमी, धनतेरस, दीपावली, लक्ष्मी पूजा और काली पूजा की तिथियों को लेकर चर्चा की गई।
महासंघ ने पौराणिक प्रमाणों के आधार पर सर्वसम्मति से निर्णय लिया कि अहोई अष्टमी 13 अक्टूबर 2025 (सोमवार) को मनाई जाएगी।
बैठक में यह भी तय किया गया कि बही-खाता, बसना, लक्ष्मी-गणेश की मूर्ति, कलम-दवात आदि की खरीदारी 15 अक्टूबर को पुष्य नक्षत्र में प्रातः 6 से 9 बजे तथा 10:15 से 11:47 बजे के बीच शुभ मानी जाएगी। वहीं, धनतेरस 18 अक्टूबर को प्रदोषकाल में मनाई जाएगी क्योंकि त्रयोदशी तिथि 18 अक्टूबर दोपहर 1:21 से लेकर 19 अक्टूबर दोपहर 2:06 तक रहेगी।
महासंघ के अनुसार, अमावस्या 20 अक्टूबर को दोपहर 2:40 बजे से प्रारंभ होकर 21 अक्टूबर को दिन 4:25 बजे तक रहेगी, इसलिए दीपदान का संध्याकाल 20 अक्टूबर को ही मिलने से दीपावली और काली पूजा 20 अक्टूबर को ही मनाई जाएगी।
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महासंघ के अध्यक्ष पं. बिपीन कुमार झा ने कहा कि चंद्रमा की स्थिति (चतुर्थ, अष्टम और द्वादश) भले ही कुछ तिथियों में अशुभ हो, लेकिन चूंकि धनतेरस और दीपावली प्रदोष व्याप्ति पर्व हैं, इसलिए इन्हें 18 और 20 अक्टूबर को ही मनाया जाना शास्त्रसम्मत है।
उन्होंने धनतेरस के लिए शुभ लग्नों की जानकारी भी दी —
तुला लग्न (06:30–08:32), वृश्चिक लग्न (08:32–10:50), धनु लग्न (10:50–12:55), मकर लग्न (12:55–02:42), कुम्भ लग्न (02:42–04:13), वृष लग्न (07:10–09:14), मिथुन लग्न (09:14–11:28), सिंह लग्न (01:32–04:02)।
इनमें से किसी भी शुभ, लाभ और अमृत चौघड़िया में गणेश, लक्ष्मी और कुबेर पूजन अत्यंत फलदायी रहेगा।
महासंघ के सचिव पं. उमेश कुमार तिवारी ने बताया कि यह निर्णय ‘निर्णयसिन्धु’ जैसे शास्त्रीय ग्रंथों के प्रमाणों पर आधारित है। उन्होंने कहा कि आम श्रद्धालु अपने-अपने आचार्यों से परामर्श लेकर चौघड़िया के अनुसार पूजन करें।
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बैठक में पं. अवधेश चौबे, पं. मुन्ना पांडेय, पं. रवि जोशी, पं. गोपाल झा, पं. प्रेमचंद झा, पं. राजेश मिश्रा, पं. रमेश पांडेय समेत कई विद्वान आचार्य उपस्थित थे।

