जमशेदपुर।
रेल सिविल डिफेंस, टाटानगर द्वारा बुधवार को इलेक्ट्रिक लोको पायलट ट्रेनिंग सेंटर में एक दिवसीय आपदा राहत प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया। इस शिविर में दक्षिण पूर्व रेलवे के चारों मंडलों — रांची, चक्रधरपुर, आद्रा और खड़गपुर से बड़ी संख्या में लोको पायलटों ने भाग लिया।
प्रशिक्षण के पहले सत्र में चलती ट्रेन में आग लगने की स्थिति में उठाए जाने वाले प्राथमिक कदमों की विस्तृत जानकारी दी गई। सिविल डिफेंस इंस्पेक्टर संतोष कुमार ने बताया कि यदि किसी कारणवश इंजन या कोच में आग लगती है तो लोको पायलट को तत्क्षण फ्लैशर लाइट जलाकर ट्रेन को सुरक्षित स्थान पर रोकना चाहिए। इसके बाद संबंधित कोच को दोनों ओर से कम-से-कम 45 मीटर की दूरी पर अलग कर खड़ा करना, यात्री सुरक्षा सुनिश्चित करना तथा स्टेशन मास्टर को सूचना देना अनिवार्य होता है।
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उन्होंने बताया कि ट्रेन स्टाफ द्वारा उपलब्ध संसाधनों जैसे पानी, मिट्टी, रेत और इंजन में उपलब्ध चार अग्निशमन संयंत्रों का प्रयोग कर आग बुझाने का प्रयास किया जाना चाहिए। अग्निशमन संयंत्रों के ‘PASS’ नियम पर विशेष रूप से प्रकाश डाला गया। बताया गया कि हर तीन माह में इन संयंत्रों की जांच और साल में एक बार केमिकल (सोडियम बाइकार्बोनेट) बदला जाता है।
दूसरे सत्र में जंगल-पठारी क्षेत्र में खड़े इंजनों में छिपे सांपों द्वारा लोको पायलटों के सर्पदंश का शिकार बनने की घटनाओं पर प्रशिक्षण दिया गया। यह बताया गया कि ऐसे क्षेत्रों में इंजन की जांच या मरम्मत के दौरान विशेष सतर्कता बरतनी चाहिए। खड़गपुर स्टेशन पर एक बार सैंडबॉक्स में कोबरा मिलने की घटना का उल्लेख करते हुए सर्पदंश की पहचान, विषैला या विषहीन सर्प का निर्धारण एवं प्राथमिक उपचार की विधियां विस्तार से बताई गईं। साथ ही, सांपों के व्यवहार और काटने की स्थिति में की जाने वाली त्वरित कार्रवाई को टेलीफिल्म और पावरपॉइंट के माध्यम से प्रस्तुत किया गया।
शिविर में भाग लेने वाले लोको पायलटों ने सिविल डिफेंस की ओर से दी गई प्रशिक्षण प्रणाली की सराहना करते हुए इसे अत्यंत उपयोगी बताया।

