जमशेदपुर। प्रखण्ड अंतर्गत किताडीह गांव में नायके (पुजारी) बाबा महाबीर मुर्मू के नेतृत्व में सोहराय पर्व का आयोजन बड़े उल्लास और श्रद्धा के साथ किया गया। इस अवसर पर गोट बोंगा पूजा संपन्न हुई, जिसमें मरांग बुरु, जाहेर आयो, ग्राम देवता, मोडे, तुराई सहित सभी देवी-देवताओं की विधिवत पूजा-अर्चना की गई।
पूजा के दौरान बाबा महाबीर मुर्मू ने बताया कि सोहराय पर्व में गोट बोंगा विशेष रूप से अपने परिवार के अहम सदस्यों—जैसे गाय और बैल—को समर्पित होता है। ये पशु कृषि कार्यों में सहयोग करते हैं और इनके परिश्रम से धान, चावल और अन्य सभी प्रकार की खाद्य सामग्री प्राप्त होती है। इसलिए इस अवसर पर देवी-देवताओं से प्रार्थना की जाती है कि ये पशु हमेशा तंदुरुस्त और सुरक्षित रहें।
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सोहराय पूजा का दूसरा दिन गांव में खास उत्सव के रूप में मनाया जाता है। इस दिन सभी ग्रामवासी गाय और बैल को सजाते, नचाते और उनकी सेवा करते हैं। यह परंपरा गांव में कृषि और पशुपालन के प्रति आभार और सम्मान की भावना को दर्शाती है।
इस अवसर पर प्रमुख रूप से उपस्थित थे: बंगाल माझी किशुन मुर्मू, संजीव हेंब्रोम, विकास मुर्मू, जोक माझी नारायण हेंब्रोम, मधु सोरेन, हेमंत सोरेन, राजा राम मुर्मू, चुनूं हेंब्रोम, बिंदु सोरेन, गुरबा हांसदा, खेला सोरेन, किशुन सोरेन, रामराय सोरेन, सुन्दर सोरेन, गणेश हेंब्रोम, मंगल सोरेन और अन्य गणमान्य व्यक्ति।
समारोह में गांववासियों ने न केवल धार्मिक आस्था का प्रदर्शन किया बल्कि समुदाय में एकता, सहयोग और सांस्कृतिक जुड़ाव को भी मजबूत किया। गोट बोंगा पूजा और पशु सेवा की परंपरा ने यह संदेश दिया कि हमारी संस्कृति में कृषि, पशुपालन और प्राकृतिक संसाधनों का सम्मान कितना महत्वपूर्ण है।
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पूजा और उत्सव के माध्यम से गांव में बच्चों और युवाओं को भी अपनी सांस्कृतिक विरासत से जोड़ने का प्रयास किया गया। सोहराय पर्व ने न केवल धार्मिक अनुशासन की याद दिलाई, बल्कि यह दिखाया कि प्रकृति और कृषि के प्रति आदिवासी समाज की आस्था और सम्मान गहरी है।

