नई दिल्ली.
पूर्व रेलमंत्री ललित नारायण मिश्रा हत्याकांड मामले में कड़कड़डूमा कोर्ट ने गुरुवार को चारों दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई। जिला जज विनोद गोयल ने करीब चालीस साल से चल रहे मुकदमे में दोषी करार दिए गए एडवोकेट रंजन द्विवेदी(66), संतोषानंद अवधूत(75), सुदेवानंद अवधूत(79) और गोपाल जी(73) को उम्रकैद की सजा सुनाई। इस हत्याकांड में 39 साल 11 महीने और 16 दिन बाद अपराधियों को सजा सुनाई गई है। बीते 8 दिसंबर को ही अदालत ने चारों को मर्डर, आपराधिक साजिश रचने समेत आईपीसी की कई धाराओं के तहत दोषी करार दिया था। चारों दोषी आनंद मार्ग संगठन के सदस्य बताए जाते हैं।
चारों दोषियों ने मिलकर रची हत्या की साजिश: जज
जिला जज ने सजा सुनाते हुए कहा कि सबूतों और परिस्थितियों के आधार पर अदालत एलएन मिश्रा हत्या मामले में चारों दोषियों को उम्रकैद की सजा देती है। अभियोजन पक्ष की ओर से दी गई दलीलें साक्ष्यों और स्थितियों को स्पष्ट करती हैं कि चारों दोषियों ने मिलकर हत्या की साजिश रची गई थी। दरअसल, मामले में 15 दिसंबर को हुई सजा पर बहस के दौरान जांच एजेंसी सीबीआई ने आरोपियों को मृत्युदंड दिए जाने का फैसला अदालत पर छोड़ दिया था। इसके बाद कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलों पर गौर करने के बाद सजा सुनाए जाने पर फैसला सुरक्षित कर लिया था और गुरुवार को चारों आरोपियों के लिए उम्रकैद की सजा मुकर्रर की।
दिल्ली में 22 जजों ने की सुनवाई, पड़ीं 720 से ज्यादा तारीखें
वैसे, इस केस में अब तक कुल 720 से ज्यादा तारीखें पड़ीं। अगर बिहार की अदालतों की बात छोड़ दें, तो केवल दिल्ली की निचली अदालत में ही 22 जजों ने इस केस की सुनवाई की। मामले में 200 से अधिक गवाह थे और अभियोजन पक्ष की ओर से 161 और बचाव में 40 गवाहों को अदालत में पेश किया गया था। इस मामले में सीबीआई पर हमेशा आरोप लगता रहा कि सीबीआई ने इस मामले की ठीक से जांच नहीं की। आरोपों की अंगुलियां तत्कालीन केंद्र सरकार पर भी उठी थी।
भीड़ में से किसी ने फेंका था ललित बाबू पर बम
2 जनवरी, 1975 को समस्तीपुर में ब्रॉड गेज रेल लाइन का उद्घाटन करने गए एलएन मिश्र के ऊपर भीड़ में से ही किसी ने बम फेंक दिया था, जिसमें वे गंभीर रूप से घायल हो गए थे। हमले में घायल होने के करीब 12 घंटे बाद तक मिश्र जिंदा रहे। कहा जाता है कि अस्पताल में उचित इलाज नहीं मिलने की वजह से अगले दिन उन्होंने दम तोड़ दिया था।
