रवि झा
मुंबई से सूरत जा रही एक रात की ट्रेन में सफर कर रही पूर्वी जैन के साथ हुआ एक छोटा लेकिन दिल छू लेने वाला वाकया, अब लाखों लोगों को प्रेरित कर रहा है।
पूर्वी जैन नाम की एक महिला जब अकेले रात में ट्रेन से सफर कर रही थीं, तब रात करीब 11 बजे दो महिला पुलिसकर्मी उनके डिब्बे में आईं और पूछा – “सीट 38 – पूर्वी?”। पहले तो पूर्वी थोड़ी हैरान हुईं, लेकिन फिर उन्होंने अपनी पहचान की पुष्टि की।
इसके बाद जो हुआ, वह उनके दिल को छू गया।
महिला पुलिसकर्मियों ने उनसे पूछा कि क्या वह ठीक हैं, कोई परेशानी तो नहीं है? इसके साथ ही उन्होंने एक हेल्पलाइन नंबर भी दिया और कहा कि अगर कभी भी असुरक्षित महसूस हो, तो तुरंत कॉल करें।
पूर्वी ने इस अनुभव को अपने LinkedIn पोस्ट में साझा किया, जो देखते ही देखते वायरल हो गया। हजारों लोगों ने इसे लाइक और शेयर किया, और इस पहल की जमकर सराहना की।
यह पहल भारतीय रेलवे और रेलवे सुरक्षा बल (RPF) द्वारा शुरू की गई है, जिसके तहत रात में अकेली महिला यात्रियों की पहचान कर उन्हें सुरक्षा का आश्वासन दिया जाता है।
पूर्वी लिखती हैं –
> “बस एक छोटा सा नाम पुकारना और हाल पूछना – यह दिखाता है कि बदलाव हो रहा है। यह छोटी बात नहीं है। यह बहुत मायने रखती है।”
इस घटना ने यह साबित कर दिया कि देश में महिलाओं की सुरक्षा को लेकर सोच में बदलाव आ रहा है – और यह बदलाव धीरे-धीरे लेकिन निश्चित रूप से हो रहा है।
“जब दो महिला पुलिस अधिकारियों ने मेरा नाम पुकारा — मुझे समझ आया कि हमारा देश कितनी दूर आ चुका है।”
कल रात, मैं मुंबई से सूरत जाने वाली ट्रेन में अकेले सफर कर रही थी। रात करीब 11 बजे दो महिला पुलिसकर्मी मेरे कोच में आईं और पूछा —
“सीट 38 – पूर्वी?”थोड़ी हैरानी के बाद मैंने कहा — “हाँ, मैं ही पूर्वी हूँ।”
उन्होंने मुस्कराते हुए पूछा — “सब ठीक है? कोई परेशानी तो नहीं?”
इसके बाद उन्होंने मुझे एक हेल्पलाइन नंबर दिया और कहा —
“अगर कभी भी असुरक्षित महसूस हो, तो तुरंत कॉल करना। हम हैं।”मैं अकसर ट्रेनों से सफर करती हूँ, लेकिन ऐसा अनुभव पहली बार हुआ।
बाद में मुझे पता चला कि यह महिला यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए शुरू की गई एक नई पहल है।मेरे बगल में बैठे बुजुर्ग दंपती भी चौंक गए —
वो बोले, “हमारी पोती भी अक्सर अकेली सफर करती है… ऐसे छोटे-छोटे प्रयास दिल को तसल्ली देते हैं।”उस छोटे से पल ने मुझे सोचने पर मजबूर कर दिया —
कि भारतीय रेलवे और हमारा देश कितनी दूर आ चुके हैं।आज वंदे भारत ट्रेनों से लेकर ऑनलाइन टिकट बुकिंग (यहाँ तक कि तत्काल बुकिंग भी आसान हो गई है), सफर लगातार सहज बनता जा रहा है।
निश्चित रूप से हम पूरी तरह परिपूर्ण नहीं हैं,
शायद अभी विकसित देशों जितने भी नहीं —
लेकिन ऐसे छोटे-छोटे कदम दिखाते हैं कि बदलाव हो रहा है।सुरक्षित यात्रा, डिजिटल सुविधा, और संवेदनशील सिस्टम — यही असली प्रगति है।

