स्पेशल-एक सितारा जो असमय ही बुझ गया :क्या एनआईए खोल पाएगी राज???

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अमृता
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झारखंड की राजनीति से लेकर केन्द्र तक की राजनीति में उभर रहा सितारा सुनील महतो असमय ही बुझ गया। हालांकि दिवंगत जमशेदपुर के सांसद सुनील महतो के हत्याकांड की सालों से सीबीआई जांच चल रही है और मुख्य शूटर नक्सली राहुल के बंगाल में आत्मसमर्पण कर दिए जाने के बावजूद सीबीआई कोई खास बिंदु नहीं निकाल पाई कि आखिर हत्या की वजह क्या रही???तो क्या अब रघुवर सरकार की ओर से एनआईए जांच की हरी झंडी मिलने से एक बार फिर हत्याकांड के खुलासे की उम्मीद जगी है???पत्नी सुमन महतो को उम्मीद है कि जिस तरह पूर्व विधायक रमेश सिंह मुंडा हत्याकांड में राजा पीटर समेत तमाम नक्सली एक एक करके जेल की सलाखों के भीतर जा रहे दिवंगत सांसद सुनील महतो की हत्या का भी राज खुल जाएगा।राज खुल जाएगा कि क्यों अपने सांसद की हत्या पर जेएमएम खामोश रहा??
राज खुल जाएगा कि आखिर किन परिस्थितियों में होली के दिन(4मार्च2007) सांसद सुनील महतो को घोर नक्सल प्रभावित क्षेत्र घाटशिला के बाघुडिया गांव में फुटबाॅल मैच का अतिथि बनीर आने के लिए दबाव डाला गया।

राज खुल जाएगा कि तत्कालीन प्रखंड अध्यक्ष प्रभाकर महतो किस दबाव में सुनील महतो को बाघुडिया गांव आने का दबाव बना रहे थे??जबकि नक्सलियों के खिलाफ बनाए गए नासुस को बढावा देने की उनकी नीति से नक्सलियों के साथ साथ तत्कालीन राजनीति भी नाराज चल रही थी क्योंकि नक्सल मुद्दा भी वोट बैंक का काम करता है।पर सुनील दादा तो विरले थे जो बनी बनाई लकीर कहां मान रहे थे।

राज खुल जाएगा कि वे कौन लोग थे जो सुनील महतो की राज्य और केन्द्र में बढती लोकप्रियता से परेशान हो रहे थे।

क्या रमेश सिंह मुंडा हत्याकांड की तरह एनआईए सुनील महतो की हत्या का राज खोल लेगी??रमेश सिंह हत्याकांड के आरोप में जो पकडे गए वे किन नेताओं के करीबी हैं कहने की जरूरत नहीं तो एनआईए के इस खुलासे के कई राजनीतिक निहितार्थ हैं और हित भी सध रहे लेकिन क्या सुनील महतो हत्याकांड के खुलासे से कोई हित सधेगा????
अगर सधेगा तो जरूर खुलासा होगा।सधने के बहाने ही सही हो जाए सत्य का खुलासा।खुल जाए राज़।
सुनील दा तुम बहुत याद आते हो और जो आरोप के घेरे में हैं(कानूनी तौर पर नहीं)हम पत्रकार उनकी खूब बाईट लेते हैं पर जब भी लेते हैं तो उनकी आंखों में विश्वासघात दिखता है तो मन सिहर उठता है।जी चाहता है कहूं कि सुनील दा को तो मौका नहीं मिला पर अब उभरनेवाले जरा सावधान रहें क्योंकि हित न सधने की हालत में राज नहीं खुलने की भी संभावना है।

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