‘हम सबसे बढ़कर है संगीत’ : अशीम

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कौशिक घोष चौधरी

जमशेदपुर

जमशेदपुर में पले बढ़े पंडित अशीम चौधरी भारतीय शास्त्रीय संगीत के क्षेत्र में  खुद को सबसे प्रतिभाशाली सितार कलाकार के रूप में स्थापित किया है I

पंडित अशीम चौधरी शाश्त्रीय संगीत के महान घराना इमादाद खानानी घराने से ताल्लुक रखते है I वह भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद (आईसीसीआर) की एकप्रतिष्ठित श्रेणी के कलाकार हैं जो  की विदेशों में भारतीय शास्त्रीय संगीत को बढ़ावा देता है I उन्हें बंगाल राज्य संगीत अकादमी पुरस्कार , महर्षि गंदर्भ वेद एवं संगीत अलंकर पुरस्कार से सम्मानित किया गया है I

सितार के प्रति कितनी रुझान है नई पीढ़ी में :-

पहले की अपेक्षा अभी सितार वादक ज्यादा तैयार हो रहे है इसका मुख्य कारण है शास्त्रीय संगीत कार्यक्रमों के बढ़ोतरी जिस् से की  शिष्य अपनी गुरु से ज्यादा प्रेरित होकर सितार वादन सिख रहे है आमतौर पर  देखा जा रहा है ज्यादातर सितारवादक इटावा , माहीहर , मनहर , सेनिया , जफ्राबिज़ घराना से आ रहे है जो की आज देश के सर्वश्रेष्ठ घराना माने जाते है I

-: जमशेदपुर में कैसे लोकप्रिय हो सितार , और क्या की जा सकती है :-

देखिये इसके लिए सबसे पहले ज्यादा से ज्यादा सख्या में सितार पर कार्यशाला का आयोजन नियमित रूप से होना चाहिए I शहर में स्थापित विभिन्न सांस्कृतिक समूहों को सितार वादन के कार्यक्रमों का आयोजन करना चाहिए एवं कार्यक्रमों को लोकल केबल टीवी पर इसका प्रचार होना चाहिए I टाटा घराना से भी मेरा विनम्र अनुरोध है की जिस तरह से फुटबॉल के विकास के लिए ISL स्पोंसर कर रही है उसी तरह शहर में सितार के कार्यक्रमों का आयोजन करना चाहिए I

-: अभी जो है स्थिति क्या संतोषजनक है :-

मेरा अपना विचार है की  सितार वादन की  स्थिति संतोष जनक नहीं है शहर में जनवरी माह से अब तक सिर्फ दो से तीन सितार वादन के कार्यक्रम शहर में हुए है पर इसके संख्या और बढ़ाना चाहिए I

-: वेस्टर्न की तरफ रुझान के लिए दोषी किसे मानते है :-

शास्त्रीय संगीत सिखने के लिए काफी मेहनत एवं लगन की जरुरत होती है एवं एक परिपक्कव कलाकार बन्ने के लिए एक हिन्दुस्तानी संगीत कलाकार को तीन दौर से गुजरना पढता है दीक्षा , शिक्षा एवं परीक्षा I इस दौर से गुजरने के बाद ही उसकी साधना पूरी होती है I लेकिन आज के कलाकार शोर्टकट टेक्निक अपनाना चाहते है जो की भविष्य के लिए घातक है और वेस्टर्न एवं हिन्दुस्तानी संगीत का कवी भी साथ नहीं हो सकता है I

-: राज्य सरकार से क्या अपेक्षा :-

राज्य सरकार  से मेरा विनम्र अनुरोध है की संगीत को बच्चो को  प्राथमिक कक्षा से ही अनिवार्य करना चाहिए I संगीत महाविद्यालय का गठन किया जाना चाहिए I

क्या भविष्य में अपने जन्म शहर में आदिवासी कलाकारों को सितार वादन का प्रशिक्षण देंगे

यह मेरा जीवन का एक सपना है की मै अपने आदिवासी भाई बहनों के लिए कुछ कर सकूँ , एवं राज्य सरकार की ओढ़ से अगर कोई प्रस्ताव आता है तो मै जरुर विचार करूँगा I

पंडित रविशंकर की मौत से कितना बड़ा नुकसान हुआ है. खबर सुनकर आपकी प्रतिक्रिया कैसी रही?

रवि काका के अकस्मात चल जाने से हमने बहुत कुछ खोया है. हर उद्योग, कारोबार, संगीत, फिल्म कुछ स्तंभों पर खड़ा होता है जो अपने वक्त के दिग्गज होते हैं. वे शास्त्रीय संगीत के स्तंभ थे. पिछले 10-15 सालों में वे सार्वजनिक तौर पर बहुत कम बाहर आए, लेकिन एक पिता के तौर पर वह हमारी पीढ़ी के लिए अहम थे. आज वह यहां नहीं है तो हमें अनाथ जैसा महसूस हो रहा है. वह एक बड़े संगीतकार थे, एक बड़े उस्ताद और हमें उनकी कमी बहुत खल रही है I

 

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